अमावस की रात में नज़र आया हैं चाँद
आज मेरा खुदा मुझ पर हैं मेहरबान
दिखी जो एक झलक उनकी झरोके में से
चकोर को मिल गया हो सावन की पहली बरसात का पानी जैसे
कर रहे हैं उस परवरदिगार से गुजारिश, रोक दो इस पल को कुछ अर्सों के लिए
नहीं मांगेंगे कोई और मन्नत उम्र भर के लिए
Do suggest some title.
Nishant was fast asleep in his bed. He had a very tiresome day. He felt a
soft hand on his shoulder. In some time, the hand was shaking him up,
trying to w...
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