on Friday, December 19, 2008

अमावस की रात में नज़र आया हैं चाँद
आज मेरा खुदा मुझ पर हैं मेहरबान
दिखी जो एक झलक उनकी झरोके में से
चकोर को मिल गया हो सावन की पहली बरसात का पानी जैसे
कर रहे हैं उस परवरदिगार से गुजारिश, रोक दो इस पल को कुछ अर्सों के लिए
नहीं मांगेंगे कोई और मन्नत उम्र भर के लिए

Do suggest some title.

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